इस्लाम में पवित्र रमज़ान का महीना सबसे ख़ास और मुक़द्दस माना जाता है। यह महीना इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, और इस महीने में हर बालिग़ मुसलमान पर रोज़ा रखना फ़र्ज़ होता है। रोज़ा सिर्फ़ खाना और पानी छोड़ने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है। इस इबादत का एक अहम हिस्सा है सहरी, जो सुबह की नमाज़ (फज्र) से पहले खाया जाने वाला खाना होता है। इस लेख में हम सेहरी की दुआ, रोज़े की नीयत, इसकी अहमियत को सुन्नत और हदीसों के ज़रिए समझेंगे। साथ ही हम कुछ दुआएं और जानकारी उर्दू और अरबी में भी शामिल करेंगे ताकि आपका रमज़ान और ज़्यादा आसान और बरकत वाला हो जाए।
सहरी की अहमियत और इसका मकसद
सहरी, जिसे सहूर भी कहा जाता है, रात के आख़िरी हिस्से में खाया जाने वाला वह खाना है जो दिनभर के रोज़े के लिए ताक़त देता है। यह सिर्फ़ जिस्मानी ताक़त नहीं देता, बल्कि रूहानी बरकतों का भी ज़रिया होता है। हमारे प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सेहरी की अहमियत पर ज़ोर दिया है। उन्होंने फ़रमाया:
“सेहरी खाओ, क्योंकि उसमें बरकत है।”
(सहीह बुखारी: 1923, सहीह मुस्लिम: 1095)
एक और हदीस में रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“हमारे और अहल-ए-किताब के रोज़ों के बीच का फर्क सेहरी का खाना है।”
(सहीह मुस्लिम: 1096)
इस हदीस से साफ़ होता है कि सेहरी मुसलमानों के रोज़े को ख़ास बनाती है। अगर इंसान सिर्फ़ एक घूंट पानी भी पी ले, तो सेहरी करने से उसे बरकत और अल्लाह की रहमत हासिल होती है।
रोज़े की नीयत और दुआ
इस्लाम में हर इबादत की बुनियाद नीयत पर होती है। रोज़े के लिए भी नीयत करना ज़रूरी है। हालांकि सेहरी के लिए कोई ख़ास दुआ नहीं बताई गई है, लेकिन रमज़ान के रोज़ों के लिए नीयत करना फ़र्ज़ है। रमज़ान के रोज़े की सबसे मशहूर नीयत यह है:
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
(उर्दू तर्जुमा: मैंने रमज़ान के महीने के कल के रोज़े की नीयत की।)
(हिंदी तर्जुमा: मैंने रमज़ान के महीने के कल के रोज़े की नीयत की।)
यह नीयत दिल में करना काफ़ी है, लेकिन ज़ुबान से कहना सुन्नत है। सेहरी के दौरान या उसके बाद यह नीयत करना रोज़े की इबादत को मुकम्मल करता है। इसके अलावा सेहरी का वक़्त दुआओं की क़ुबूलियत का ख़ास वक़्त होता है। आप इस समय में अपनी ज़रूरतों और मग़फिरत के लिए दुआ कर सकते हैं। एक मशहूर दुआ है:
“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे उस तेरी रहमत के वसीले से मग़फिरत माँगता हूँ जो हर चीज़ को घेरे हुए है।”
(उर्दू तर्जुमा: ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरी उस रहमत के वसीले से मग़फिरत माँगता हूँ जो हर चीज़ को घेरे हुए है।)
(हिंदी तर्जुमा: ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरी उस रहमत के वसीले से मग़फिरत माँगता हूँ जो हर चीज़ को घेरे हुए है।)
सेहरी की सुन्नतें और हदीसें
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने सेहरी के बारे में कई सुन्नतें बताई हैं, जिन्हें अपनाने से रोज़े में आसानी और बरकत मिलती है। नीचे कुछ अहम सुन्नतें और उनसे जुड़ी हदीसें दी गई हैं:
1. हल्का खाना खाना
सेहरी में ज़रूरत से ज़्यादा न खाएं। पेट का एक हिस्सा खाली रखें ताकि नमाज़ में सुस्ती महसूस न हो।
2. सेहरी देर से करना
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“मेरी उम्मत खैर पर रहेगी जब तक वह इफ्तार में जल्दी और सेहरी में देर करती रहेगी।”
(मुसनद अहमद: 11396)
3. खजूर खाना
रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया:
“खजूर मोमिन का सबसे बेहतरीन नाश्ता है।”
(सुन्नन अबू दाऊद: 2345)
4. कम से कम एक घूंट पानी पीना
अगर भूख न हो तो भी सेहरी की बरकत के लिए कम से कम एक घूंट पानी पीना चाहिए।
(मुसनद अहमद: 11396)
सेहरी की फज़ीलत बताने वाली कुछ और हदीसें
1. “अल्लाह और उसके फ़रिश्ते उन लोगों पर रहमत भेजते हैं जो सेहरी करते हैं।”
(मुसनद अहमद: 11003)
(हिंदी अनुवाद: अल्लाह और उसके फ़रिश्ते सेहरी करने वालों पर रहमत भेजते हैं।)
2. “सेहरी में पूरी बरकत है, उसे मत छोड़ो, चाहे एक घूंट पानी ही क्यों न पीना पड़े।”
(मुसनद अहमद: 11396)
(हिंदी अनुवाद: सेहरी में पूरी बरकत है, उसे मत छोड़ो, चाहे सिर्फ़ एक घूंट पानी ही क्यों न पीयो।)
**3. “तीन लोगों से उनके खाने-पीने का हिसाब नहीं लिया जाएगा:
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रोज़ा खोलने वाले,
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सेहरी करने वाले,
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अल्लाह की राह में सरहद की हिफाज़त करने वाले।”**
(अत-तरगीब वतरहीब: 2/90)
सेहरी के लिए बरकत भरे टिप्स
रूहानी और जिस्मानी तौर पर सेहरी को बरकत वाला बनाने के लिए ये बातें अपनाएं:
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सेहतमंद खाना खाएं: साबुत अनाज, प्रोटीन (जैसे अंडा या दही), और रसदार फल (जैसे तरबूज़) लें, ताकि दिनभर एनर्जी बनी रहे।
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भारी खाना न खाएं: तला हुआ या तीखा खाना पचने में मुश्किल होता है, इससे परहेज़ करें।
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पानी ज़रूर पिएं: डिहाइड्रेशन से बचने के लिए सेहरी में खूब पानी पिएं।
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सुकून भरा माहौल बनाएँ: परिवार के साथ या शांत वातावरण में सेहरी करें, दुआएं पढ़ें और रोज़े के मक़सद पर सोचें।
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पहले से तैयारी करें: आसान और जल्दी बनने वाले खाने की तैयारी रात में ही कर लें, ताकि वक़्त बच सके।
सेहरी की दुआएं (उर्दू और अरबी में)
आम दुआ:
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
(उर्दू तर्जुमा: अल्लाह के नाम से, जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है।)
(हिंदी तर्जुमा: अल्लाह के नाम से, जो बहुत कृपालु और अत्यंत दयालु है।)
मग़फिरत की दुआ:
رَبِّ اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ
(उर्दू तर्जुमा: ऐ मेरे रब! मुझे, मेरे माँ-बाप को और तमाम मोमिनों को उस दिन माफ़ कर देना जब हिसाब-किताब क़ायम होगा।)
(हिंदी तर्जुमा: हे मेरे पालनहार! मुझे, मेरे माता-पिता को और सभी ईमानदारों को उस दिन क्षमा कर देना जब हिसाब-किताब का दिन आएगा।)
सेहरी और रोज़े से जुड़े आम सवाल
यहाँ सेहरी और रोज़े से जुड़े कुछ आम सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो लोगों के ज़ेहन में अक्सर आते हैं:
1. क्या सेहरी करना ज़रूरी है?
सेहरी करना फ़र्ज़ (अनिवार्य) नहीं है, लेकिन यह रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है। सेहरी करने से रोज़ा आसान और बरकत वाला बनता है।
2. सेहरी कब करनी चाहिए?
सेहरी रात के आख़िरी हिस्से में करनी चाहिए, और बेहतर यह है कि इसे फज्र की नमाज़ से कुछ पहले किया जाए।
3. सेहरी में क्या खाना चाहिए?
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि खजूर सबसे बेहतरीन सेहरी है। इसके अलावा साबुत अनाज, फल और प्रोटीन युक्त भोजन जैसे अंडा या दही खाना भी फ़ायदेमंद है।
4. अगर भूख न लगे तो क्या करें?
अगर भूख न भी लगे, तो भी एक खजूर या कम से कम एक घूंट पानी ज़रूर लें ताकि सेहरी की बरकत से महरूम न रहें।
निष्कर्ष
सेहरी सिर्फ़ एक खाना नहीं, बल्कि रमज़ान के रोज़े का एक अहम और बरकतों भरा हिस्सा है। इस इबादत को और फलदायक बनाने के लिए सुन्नतों पर अमल करें, नीयत करें और दुआ करें। चाहे आप पूरा खाना खाएं या सिर्फ़ एक घूंट पानी पिएं, सेहरी की बरकत आपके रोज़े को ख़ास बना देती है। इस रमज़ान, सेहरी को पूरी लगन और सच्ची नीयत के साथ अदा करें, ताकि आपको अल्लाह की रहमत और मग़फिरत नसीब हो।